Thursday, December 30, 2010

हाथ से छूटा पल


वर्ष

बीतते ही

ऐसे लगा

कुछ रीत

गया हो

जैसे

मांगे हुए

पलों मैं से

कोई पल

अकेला

बीत गया हो

जिंदगी

हार गयी

और वो

जीत गया हो

3 comments:

  1. हरीश जी ... सुंदर पंक्तियाँ ......

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  2. जिंदगी भी जीत रही है, ध्‍यान से देखें.

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