Friday, March 29, 2013

मैं तो मुसाफिर हूँ ....





मैं तो मुसाफिर हूँ हमेशा लहरों में रहूँगा !
तुम सुमन सम साथ साहिल के चलोगी !!
मैं तो नीरव सा सघन.... वन वन रहूँगा !
तुम सुहासित उश्मिता के... संग चलोगी !!

इस सुलगती वसुधरा कि प्यास भी तुम !
इस धरा पर प्रणय का मधुमास भी तुम !!
तुम बरसती भाद्र कि..... हर आद्रता में  !
ज्येष्ठ कि मृदु धूप का आभास भी तुम !!
में तो चातक हूँ सघन.... घन घन रहूँगा !
तुम अहर्निश रश्मिता के.. संग चलोगी !!

तुम क्षितिज की, रक्तिमम लावण्यता में !
तुम शिशिर की, चंचलित हर व्यस्तता में !!
ओस की कोंपल पे झिलमिल   धूप जैसी !
श्वेत संदल सी... खनकती ज्योत्स्ना में  !!
मैं तो याचक हूँ नमित ...कण कण रहूँगा !
तुम सुभाषित अस्मिता  के..संग चलोगी !!

निशदिन शुभेच्छित हो नया संसार तुमको !
मुझसे निश्छल स्नेह का,..आभार तुमको !!
तुम न चाहो तो तुम्हें, याद आऊं मैं कैसे ?!
हैं स्मृतियों से मिटने का अधिकार तुमको !!
मैं तो त्यज्यित हूँ, भ्रमित क्षण क्षण रहूँगा !
तुम मधुरमित  शुश्मिता के, संग चलोगी !!

मैं तो मुसाफिर हूँ हमेशा लहरों मैं रहूँगा !
तुम सुमन सम साथ साहिल के चलोगी !!