Friday, April 22, 2016


वो पिछले मोड़ पे, बेसाख्ता रुका क्यों हैं !
कोई वजह ही नहीं हैं, तो फिर खफा क्यों हैं !!
तमाम उम्र गुजारी हैं,,,, खुदपरस्ती में  !
अगर वो टूटा नहीं हैं, तो फिर झुका क्यों हैं !!

फिर मिल के जुदाई कि, कोई रीत न रखना !
हम हार भले ही जाएँ मगर, जीत न रखना !!

तुम भूल तो जाओ चलो,,,, मर्जी हैं तुम्हारी !
मुझसे मगर ऐसी कोई,,, उम्मीद न रखना !!

हाँ !! तुमसे ही कह रहा हूँ …(अजीब-ओ-गरीब दोस्तों के लिए )


जब भी मिलते हो,,,,,,,, खफा मिलते हो !
तिलमिलाए हुये भी बाज़ दफ़ा मिलते हो !!


सीधे मुंह बात हो,,,,,, तो पूछना था मुझे !
यूं ही मिलना हैं तो,,,,,, क्यों मिलते हो ??
उम्र भर मैं ही, एहतीयात का पाबंद रहा हूँ !

तुमको तो दिल लगाने का, शऊर कहाँ था !!
तेरे कहने पे मुसलसल, जब्त किया हैं मैंने !
कब से उम्मीद का एक, दौर जिया हैं मैंने !!
अब तो आवाज़ दे, के गले लग जा मुझसे !
ज़िन्दगी तुझको बहुत, वक्त दिया हैं मैंने !!

तुम्हारे जन्मदिन पर

उफ़्फ़ 
फिर भूल गया 
इस बार भी 
तुम्हे 
विश करना 
तुम्हारे जन्मदिन पर 

चलो 
मान लेता हूँ 
याद तो था 
पर नहीं ही दे पाया 
बधाई 
पिछले साल की तरह 

पिछले 
साल दर साल 
यही तो मान लिए था 
हर बार 
की भूल गया था 

पर 
में चाहता हूँ 
याद रखना 
रखता भी हूँ 
फिर भी 
बधाई  सन्देश 
रह   जाता हैं 
मेरे ही पास 
साल दर साल 

वजह भी तो हैं 
और वाजिब भी 
आखिर मेरा जन्मदिन 
तुम्हारे जन्मदिन से  
पहले जो आता रहा  हैं 
साल दर  साल 

तो क्या !!  
भूल जाने का हुनर 
सिर्फ मुझे ही आता हैं ??
यूं तो दुनियां में कोई शख़्श,  मुकम्मल नहीं होता ! 
दर्द भी रुक रुक के होता हैं, मुसलसल नहीं होता !!

अज़नबी से इन चेहरों का, यक़ीन कर लिया हमने ! 
कुछ मसलहात ही ऐसे हैं, जिनका हल नहीं होता !!