Monday, July 10, 2017

माहिया

शुभ संध्या दोस्तों
...माहिया छंद ...

उस पार खड़ी थी वो,-2
......सोणी लगती थी
कम-उम्र बड़ी थी वो ।।

दरिया ये बहता हैं ,-2
.......दूर किनारे हैं
बस इतना कहता हैं ।।

मिलने की जल्दी हैं, -2
.....कब तक आओगे
अब जान निकलती हैं ।।

कहती शहनाई हैं,-2
....प्रीत न करना तू
ये पीर पराई हैं ।।

इश्के दी रुत आई,-2
.....नाल परांदे दे
गुत तेरी लहराई ।।

अम्बियों के गुच्छे हैं,-2
.....तोड़ न देना तू
अभी उम्र में कच्चे हैं ।।

तुझ बिन सब रीत गया,-2
....कब तक याद करें
जीवन तो बीत गया ।।

दुनिया थी बाहों में,-2
.....यार गवां बैठे
हम इश्क़ की राहों में ।।

....हरीश....

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