Thursday, July 6, 2017

उंगलियां रख कर

उँगलियाँ
रख कर
"मोहब्बत"
हर्फ़ पर,
उसने मासूमी
से पूछा
"क्या हैं ये" !!
रुक गए
उड़ते परिंदे 
बाम पर
दिलजला मौसम 
नवाबी हो गया ,

कसमसा कर 
शोखियाँ
घुलती गई
चाँद सा चेहरा  
गुलाबी
हो गया !

सिलसिला ताशब
मुसलसल
ही रहा
जिस्म से फिर 
इत्र सा
झरता रहा,  

रात भी ना
होश में
फिर आ सकी ,,

सुब्ह तक वो
तर्जुमा
करता रहा !!
....हरीश... 

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