माहिया .....
उस पार खड़ी थी
वो !
सोणी लगती थी,
कम-उम्र बड़ी थी वो !!
दरिया ये बहता हैं !
दूर किनारे हैं,
बस इतना कहता हैं !!
मिलने की जल्दी हैं !
कब तक आओगे,
सोणी लगती थी,
कम-उम्र बड़ी थी वो !!
दरिया ये बहता हैं !
दूर किनारे हैं,
बस इतना कहता हैं !!
मिलने की जल्दी हैं !
कब तक आओगे,
अब जान निकलती
हैं !!
...हरीश ...
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