Thursday, July 6, 2017

रेज़ा रेज़ा

रेज़ा रेज़ा जल रहा हूँ ....धूप में !
रेशा रेशा गल रहा हूँ .....धूप में !!

साया-ए-दीवार, कहती हैं की रुक !
हाथ अपने मल रहा हूँ... धूप में !!

पाँव का तलवा, सिसकता हैं बहुत !
रख के सर पर चल रहा हूँ, धूप में !!

तन बदन से,
उठ रहा हैं इक धुआं !
खुद को जैसे तल रहा हूँ ...
धूप में !!

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