अधूरा
"चाँद" हैं
...उस पार
और
"हसरत" बड़ी हैं
सुलगता आसमां
....उस पर
"सितारों" की लड़ी हैं
वो मेरी
"हमनफस" हैं
....हमकदम
मेरी
"कमसिन" परी हैं
बहुत मासूम
हैं
...लेकिन
मेरे रेशम के
कुरते पे
वो चांदी
सी जरी हैं
जरा सा ये
.....कहा मैंने...
की "सुरमई
शाम" रोशन हैं
...जो दिल में हैं
वो मुझसे आज
"कह दो"...
सुनो उसकी
....वो कहती हैं
अगर मुझसे
....."मोहब्बत" हैं
मुझे वो चाँद
"ला दो"...
बताओ अब मेरे
यारो
....की क्या कह दूं
यही मुश्किल बड़ी
हैं
....और इक "वो" हैं
बहुत
"जिद्दी"
.....की तब से ही
इसी जिद पे
......अड़ी हैं
की गुस्से में
खड़ी हैं
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