Tuesday, May 29, 2018

लघु कथा अनकहा सा कुछ

लधु कथा
विषय -अनकहा सा कुछ

☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆
रोहन ने मोबाइल को ऐसे देखा जैसे कोई दुश्मन हो... हद हैं सुबह से उसकी प्रोफ़ाइल पर लगातार नोटिफिकेशन आ रहे थे पर ...पर जिसका इन्तजार था उसका अभी तक भी नहीं परसो शाम से न तो शीतल ने उसे कोई मेस्सेज किया था न उसकी प्रोफ़ाइल पर ही आई थी
रोहन ने शीतल की प्रोफाइल चेक की ...नहीं अभी तक तो हैं प्रोफाइल में उनफ़्रेंड भी नहीं किया फिर उसका मैसेज क्यों नहीं...परसो से अब तक एक भी नही.... ऐसा तो कभी नही हुआ
तीन साल हो गए थे रोहन और शीतल को इस आभासी दुनिया में बिना इक दुसरे को जाने बिना देखें इक ऐसा अनकहा अनबूझा रिश्ता हो गया था दोनों के बीच की जब तक एक दुसरे को मेस्सेज न कर लें सांस नहीं आती थी... सुबह की गुड मोर्निंग हो... या रात की गुड नाईट दिन भर क्या खाया.. क्या पिया ...क्या पहना... कहाँ हो ...कैसी लग रही हूँ ...मिस कर रही हूँ कब मिलोगे ...इन्हीं सब में बीत जाता था
फिर ऐसा क्या हुआ की कल शाम से कोई तवज्जो ही नहीं
परसो शाम तो मेसेज किया था उसे ...रोहन ने मेसेजर ओन किया आखरी मेसेज शीतल का ही था....."ओके जब घर आ जाओ मेसेज कर देना बाय टेक केयर स्वीट ड्रीम्स लव यु डियर ""

रोहन परसो दोपहर से हॉस्पिटल में ही था डेंगू हुआ था उसे लगातार बिगड़ती हालत ने उसे भर्ती करवा ही दिया ...कमजोरी इतनी की टॉयलेट तक जाना मुश्किल शायद बैड पर ही करवाया था रीमा ने ..ओह रीमा से तो मिलवाना ही भूल गया ...रीमा उसकी पत्नी थी
पूरी रात रीमा उसके सरहाने बैठी रही रात अपने हाथ से खाना खिलाया दो बार तो कपड़े भी उसी ने बदले उल्टी के कारण ....रात पता नही कब तक तो सर पर ठंडी पट्टियां रखने में बीती याद नही उसे... हाँ परसो शाम जब रीमा दो मिनट के लिए दवाई लेने नीचे मेडिकल स्टोर पर गई तब मेसेज किया था उसने शीतल को की वह हॉस्पिटल में हैं प्लेटलेट्स 30000 आ चुके हैं कमजोरी बहुत हैं पता नही क्या होगा
साथ ही यह भी लिख दिया था की रीमा मेरे साथ ही हैं मेसेज देख के करना जरा
और फिर डेटा कनेक्शन आफ कर दिया था मेसेज डिलीट करके तब से कल का दिन तो उसे होश ही नही था और आज अभी तक तो कोई मेसेज नही शीतल का

तभी रीमा आ गई शायद चाय नाश्ता लाने गई थी
"उठ गए आप लीजिये चाय पी लीजिये"
"और सुनो आज की रिपोर्ट ठीक हैं प्लेटलेट्स बढ़ रहे हैं ठीक हो जाओगे आप मैने माँ भगवती से मन्नत मांगी थी जब आप ठीक हो जाओगे तो हम चलेंगे चुन्नी चढ़ाने"
मुस्कुरा दिया था रोहन
लाइये मोबाइल मुझे दीजिये में पढ़ के सुना देती हूँ आपके मेसेज अरे ...आप तो सारा दिन मोबाइल पे रहते थे किसी ने पूछा नही मेसेज में की कैसी तबियत हैं कहाँ गई आपकी वो गर्ल फ्रेंड्स जो रोज मेसेज करती थी सुबह शाम.... रीमा ने विजयी भाव से मुस्कुरा कर रोहन की तरफ देखा था
और रोहन को उसकी आँखों में बहुत कुछ दिखा था कहा अनकहा सा ....उसे शीतल का मैसेज याद आ गया ओके मेसेज कर देना जब घर आ जाओ टेक केयर लव यू .....
उसने रीमा का हाथ कस के पकड़ लिया और भर्राये गले से कहा ....नही रीमा मेरी सच्ची गर्लफ्रेंड तो तुम हो
सिर्फ तुम
रिश्तों की परिभाषा समझ गया था वह शायद

हरीश भट्ट

No comments:

Post a Comment