पिछली होली का एक चुटकी, गुलाल रक्खा हैं ।
ख्वाब आंखों में तेरी आमद का, पाल रक्खा हैं ।।
सादगी पाकीज़गी, दिलकश गुलाबों की गमक ।
उसके आरिज़ पर ये, कितना बवाल रक्खा हैं ।।
तू आ करीब तो अरमां भी ये, सुलगेंगे जरूर
हमने हर सांस में अब तक, उबाल रक्खा हैं ।।
नाज़-ओ-अंदाज के चर्चे, वो गुलबदन से तराश ।
हमने एक शेर में क्या क्या, संभाल रक्खा हैं ।।
तुझे मिलने की भी फुर्सत न मिली, और हमने ।
तुझसे मिलने को क़ज़ा को भी, टाल रक्खा हैं ।।
अबकी होली में
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