Tuesday, May 29, 2018

दुमदार दोहे

नमस्कार दोस्तों ..
कुछ दुमदार दोहे ...रोज़ डे के नाम 
(केवल हास्य हेतु).​

लाल ललाम थी कामिनि​, कर में लाल गुलाब !​
अखियन से घायल करे,​ उसका नहीं जवाब ​!!​
नयन से गोली मारे ​!!​

रोज़ रोज़ को देख कर, मन ही मन हुलसाय !
रोज दिया जो रोज को, विह्सें मुह बिचकाय  !!
सड़क पे फैके सारे !!

कैसा यह  दस्तूर हैं, अजब विधि का विधान !
फूल फूल को फूल दे, देख सखी उपमान !!
कहीं का ना रक्खा रे !!

जान हैं किसी और की, उसको जान न जान !
घर जो मान बढ़ा रही, उसको अपना मान !!
पतिव्रत धर्म  निभा रे !!

कंचन काया कौमुदी, कोमल कलि कचनार​ !​
क्या मैं उसको भेंट दूं​,​ मुख जिसका  रतनार​ !!​
गुलिस्तान उस पर वारे​ !!​

हरीश भट्ट

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