Tuesday, May 29, 2018

किसी बयार का झोंका अभी चला ही लगे

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ग़ज़ल

किसी बयार का झोंका अभी चला ही लगे!
कोई है ख्वाब जो आँखों में बस पला ही लगे!!

वो बात करती है और मुस्कराने लगती है!
नज़र चुरा के मिलाना तो बस अदा ही लगे!!2

दिए हैं दर्द मुझे और जख्म दे डाले!
कभी कभार मुझे दर्द भी दवा ही लगे!!3

छुपा रहा है वो नजरें न जाने क्यूँ मुझ से !
हर एक बात पे चेहरा भी कुछ झुका ही लगे!!4

कहीं हुई कोई दस्तक है उसके आने की!
ये ओर बात हैं मुझसे तो बस खफा ही लगे  !!5

सुबह से शाम हुई और शब् है होने को!
नहीं है आया अभी तक कहीं गया ही लगे!!6

खफ़ा तू होती है मुझ से मगर जताती नहीं!
मुझे तो रूठना तेरा बहुत जुदा ही लगे!!7

...आभा दूनवी

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