Sunday, December 10, 2017

मुक्तक- रावण राज


त्रेता का वैभव गया, कलियुग हैं ये आज !
घर घर रावण ही मिले, कहाँ राम का राज !!
जनकसुता भयभीत हैं, अवचेतन हनुमंत !
राम शिथिल हैं आज के,... रावण तीरंदाज !!

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