कुछ शब्द-सुमन उर अंजुरी में
भरपूर नेह से........... लाया हूँ
दो पल तो पास तुम बैठो जरा
मैं दूर देश से.......... आया हूँ
मैं रोज सोचता हूँ ....तुमको
अधिकार न हो तो ,कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको स्वीकार न हो तो कह देना
तुम चाहे न मुझसे बतियाना
शर्माना न ........इठलाना ना
तुम द्वार से ही, लौटा देना
मुस्काना न .....इतराना ना
मैं रोज मनाता हूँ.. तुमको
मनुहार न हो तो.\, कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको स्वीकार न हो तो कह देना
कह तो दिया मत देना भले
इन नैनों का.... संसर्ग प्रिये
न देना भले ,प्यासे मन को
अंजुरी भर भी, अर्घ्य प्रिये
मैं रोज ही रचता हूँ, तुमको
साकार न हो तो,, कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको स्वीकार न हो तो कह देना
""इन पंक्तियों मैं एक परिवर्तन के साथ भी पढ़ कर देखे
की भाव मैं क्या परिवर्तन होता हैं ""
मैं रोज सोचता हूँ तुमको प्रतिकार न हो तो कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको...इन्कार न हो तो कह देना
बहुत सुन्दर गीत ...
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeletesir,aapke parivartit geet me bhi bhav bahut acche hain...
ReplyDeletepahla bhav ki ....main apne priye se bahut prem karta hoon .uski sukh ke baare me sochta hoon....kya iska adhikaar nahi mujhe priye ...agar nahi to kah dena mujhe priye
aur is pavitra preet ko main tujhe arpan karta hoon,agar swikaar na ho to kah dena ....
priye tumhari khusi me meri khushi hai
.....doosre me
doosre me priye ke man ko samjha gaya hai aur usase aagrah kiya gya hai ki he priye agar tumhe koi pratikaar nahi mere pret par tumhare liye to mujhe apne man ki baat bata do..mera hriday tumhare liye karuna se bhara hua hai...tum naa karogi to ye dravit ho jaayega ,shaayad tum bhi us kshan ko sahaj nahi le paaogi....
main apna sampoorn prem tum ko saupta hoon ...priye apne antarman se...par inkaar na ho to mujhe kah dena apne man ki baat ...main shayad tumhare inkaar se dravit ho jaaon ..main tumse bahut prem karta hoon priye aur tumhaare liye apne hriday me bahut karuna hai.....
bhut hi sunder parstuti.. har pankti me pyar aur bhavnaaye hai...
ReplyDeleteमैं रोज़ सोचता हूँ तुमको अधिकार न हो तो कह देना
ReplyDeleteमैं रोज़ मनाता हूँ तुमको मनुहार न हो तो कह देना
मैं रोज़ हीं रचता हूँ तुमको साकार न हो तो कह देना
मैं प्रीत सौंपता हूँ तुमको इनकार न हो तो कह देना
पूरी रचना हीं बेमिसाल है कहाँ से लाते हैं आप ऐसी ऐसी पंक्तियाँ ? अपने हीं इर्द गिर्द बाँध लेती है आपकी रचनाएँ |