Friday, May 27, 2011

तुम चलो , बेवफा तो हुए


पत्थरों से सनम रह गए
बेबसी के सितम रह गए 

दर्द चेहरा, छुपा ना  सका
उनके माथे पे ख़म रह गए

चाहने को, जहाँ था मगर   
बस जनाजे को हम रह गए

रो न पाया, तुझे  रात भर
अश्क आँखों में कम रह गए

साँस लेने की फुर्सत न थी
इसलिए हमकदम रह गए

आदतन मुस्कुराये थे वो
कैसे कैसे , वहम रह गए

जब्त करता रहा उम्र भर
जाने कैसे ये गम रह गए


तुम चलो , बेवफा तो हुए

आशिकी के भरम रह गए

2 comments:

  1. जब्त करता रहा उम्र भर
    जाने कैसे ये गम रह गए

    तुम चलो बेवफा तो हुए
    आशिकी के भरम रह गए

    मस्त है, मज़ा आया पढ़ कर और तस्वीर के तो क्या कहने गज़ब |

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