अच्छा...
एक बात पूछूं
एक बात पूछूं
सप्नीला वसंत
कोंपलों से
झाकते झाकते
बौरा सा क्यों गया..?
सर्द हवा ने
कोई ठिठोली की हैं क्या ??
कोई ठिठोली की हैं क्या ??
ओह...
तो यूं कहो न..
तो यूं कहो न..
की पिछले वसंत
कोई था जो
धानी चूनर लिए
हवाओं का रुखतय करता था !!
तितिरियों के
पाखों में
सुरमई रंग घोलता था !!
भवरे के सप्तसुरों को
गुंजित करता था !!
अमराई के बौरों में
चटकीला स्वाद भरता था!
क्यों....????
था न कोई.....!!!???
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