खुद तो रोये थे मुझे भी, तो रुलाया तुमने ,
मुझको कल रात भी बेवक्त जगाया तुमने !
कोरे कागज पे न मजमून न पता था मेरा ,
कितनी शिद्दत से ये रिश्ता निभाया तुमने !
आइनों का सच तो यूँभी मुझे मंजूर न था ,
टूट कर बिखरा हैं, जब भी दिखाया तुमने !
शाम रुक सी गई, मंजर वो ठहर सा गया,
ऐसे मुस्का के जो पलकों को गिराया तुमने!
हाँ ये सच हैं कि मैं भी था तेरे तलबगारों मैं ,
जब्त करता ही रहा परदा ना हटाया तुमने !
बेवफा था मैं खुदगर्ज भी था नज़रों मैं तेरी ,
सिर्फ मुझसे न कहा दुनियां को बताया तुमने!!
मुझको कल रात भी बेवक्त जगाया तुमने !
कोरे कागज पे न मजमून न पता था मेरा ,
कितनी शिद्दत से ये रिश्ता निभाया तुमने !
आइनों का सच तो यूँभी मुझे मंजूर न था ,
टूट कर बिखरा हैं, जब भी दिखाया तुमने !
शाम रुक सी गई, मंजर वो ठहर सा गया,
ऐसे मुस्का के जो पलकों को गिराया तुमने!
हाँ ये सच हैं कि मैं भी था तेरे तलबगारों मैं ,
जब्त करता ही रहा परदा ना हटाया तुमने !
बेवफा था मैं खुदगर्ज भी था नज़रों मैं तेरी ,
सिर्फ मुझसे न कहा दुनियां को बताया तुमने!!
behad khoobsurat.....
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