दोस्तों हलके फुल्के अंदाज मैं एक नज्म आपकी नजर ...
चलो ऐसा करें दिल की लगी को.....छोड़ देते हैं!
कोई रस्ता ना हो तो, मंजिलें ही....मोड़ लेते हैं!!
मुझे अबभी मोहब्बत हैं तुम्हारी शोख आँखों से!
सितारे क्या अभी तक भी उन्ही से..होड़ लेते हैं!!
तुम्हे ही हिचकिचाहट थी हमेशा दिल लगाने से!
हमारा क्या हैं हम तो यूं ही रिश्ता...जोड़ लेते हैं!!
ये माना तुमसे नामिलने की कस्में हैं ज़माने से!
गर तुम हाँ जो कह दो तो कसम भी तोड़ लेते हैं!!
वो रूठे हैं मगर उनको मानना फिर भी आसां हैं!
बहुत मुश्किल हैं उनको जो उदासी .ओड़ लेते हैं!!
इसे मेरा जुनूं कह दो या कहलो तुम दिवानापन!
इशारा तुम जो करती हो वहीँ को ....दौड़ लेते हैं!!
चलो ऐसा करें दिल की लगी को.....छोड़ देते हैं!
कोई रस्ता ना हो तो, मंजिलें ही....मोड़ लेते हैं!!
मुझे अबभी मोहब्बत हैं तुम्हारी शोख आँखों से!
सितारे क्या अभी तक भी उन्ही से..होड़ लेते हैं!!
तुम्हे ही हिचकिचाहट थी हमेशा दिल लगाने से!
हमारा क्या हैं हम तो यूं ही रिश्ता...जोड़ लेते हैं!!
ये माना तुमसे नामिलने की कस्में हैं ज़माने से!
गर तुम हाँ जो कह दो तो कसम भी तोड़ लेते हैं!!
वो रूठे हैं मगर उनको मानना फिर भी आसां हैं!
बहुत मुश्किल हैं उनको जो उदासी .ओड़ लेते हैं!!
इसे मेरा जुनूं कह दो या कहलो तुम दिवानापन!
इशारा तुम जो करती हो वहीँ को ....दौड़ लेते हैं!!
ये माना तुमसे नामिलने की कस्में हैं ज़माने से!
ReplyDeleteगर तुम हाँ जो कह दो तो कसम भी तोड़ लेते हैं!!
वो रूठे हैं मगर उनको मानना फिर भी आसां हैं!
बहुत मुश्किल हैं उनको जो उदासी .ओड़ लेते हैं!!
बहुत खूब ...सुन्दर गज़ल
मासूमियत भरी एक प्यारी सी रचना
ReplyDeleteबहुत हीं प्यारी अभिव्यक्ति
हलके फुल्के अंदाज़ में हीं सही पर कुछ गहरी बातें भी हैं इसमें
वो रूठे हैं मगर उनको मनाना फिर भी आसां है
बहुत मुश्किल है उनको जो उदासी ओढ़ लेते हैं
इन दो पंक्तियों से जीवन के अनुभव झलक रहे हैं वाकई जो उदासी को ओढ़ लेते हैं गुमसुम हो जाते हैं उन्हें मनाना बहुत मुश्किल काम होता है क्यूंकि जुबान से वो कुछ कहते हीं नहीं जो लड़ते झगड़ते हैं दिल की बात बोल देते हैं उन्हें मनाना तो कितना आसां होता है न ?