Friday, April 8, 2011

चलो ऐसा करें...


दोस्तों हलके फुल्के अंदाज मैं एक नज्म आपकी नजर ...

चलो ऐसा करें दिल की लगी को.....छोड़ देते हैं!
कोई रस्ता ना हो तो, मंजिलें ही....मोड़ लेते हैं!!

मुझे अबभी मोहब्बत हैं तुम्हारी शोख आँखों से!
सितारे क्या अभी तक भी उन्ही से..होड़ लेते हैं!!

तुम्हे ही हिचकिचाहट थी हमेशा दिल लगाने से!
हमारा क्या हैं हम तो यूं ही रिश्ता...जोड़ लेते हैं!!

ये माना तुमसे नामिलने की कस्में हैं ज़माने से!
गर तुम हाँ जो कह दो तो कसम भी तोड़ लेते हैं!!

वो रूठे हैं मगर उनको मानना फिर भी आसां हैं!
बहुत मुश्किल हैं उनको जो उदासी .ओड़ लेते हैं!!

इसे मेरा जुनूं कह दो या कहलो तुम दिवानापन!
इशारा तुम जो करती हो वहीँ को ....दौड़ लेते हैं!!

2 comments:

  1. ये माना तुमसे नामिलने की कस्में हैं ज़माने से!
    गर तुम हाँ जो कह दो तो कसम भी तोड़ लेते हैं!!

    वो रूठे हैं मगर उनको मानना फिर भी आसां हैं!
    बहुत मुश्किल हैं उनको जो उदासी .ओड़ लेते हैं!!

    बहुत खूब ...सुन्दर गज़ल

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  2. मासूमियत भरी एक प्यारी सी रचना
    बहुत हीं प्यारी अभिव्यक्ति
    हलके फुल्के अंदाज़ में हीं सही पर कुछ गहरी बातें भी हैं इसमें
    वो रूठे हैं मगर उनको मनाना फिर भी आसां है
    बहुत मुश्किल है उनको जो उदासी ओढ़ लेते हैं
    इन दो पंक्तियों से जीवन के अनुभव झलक रहे हैं वाकई जो उदासी को ओढ़ लेते हैं गुमसुम हो जाते हैं उन्हें मनाना बहुत मुश्किल काम होता है क्यूंकि जुबान से वो कुछ कहते हीं नहीं जो लड़ते झगड़ते हैं दिल की बात बोल देते हैं उन्हें मनाना तो कितना आसां होता है न ?

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