""कविता""...... कविता उस पहाड़ी झरने के पानी की तरह से हैं निष्कपट,निश्छल,पारदर्शी, जिसमे से झाँक कर कवि की भावनात्मकताए देखी जा सकती हैं कविता,गीत या ग़ज़ल एक मनः स्थिति हैं भाव का रूपांतरण हैं एक अलग ही दृश्यांतरण हैं कभी कभी तो इस संसार से परे एक संसार रच लेता हैं कवि रचना तो स्वयंभू हैं स्वरचित.. ये तो ईश्वरीय प्रबलता हैं जो उसके मस्तिस्क की गहराइयों मैं जन्म लेती हैं हृदय के तारों को झंकृत करती हुई मुख के सप्त सुरों पर अवरोहण करती हुई कलम के माध्यम से उभर आती हैं वरकों पर
Wednesday, April 6, 2011
माँ शक्ति स्वरूपा..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व तथा नवसंवत्सर 2068)की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
!!जय माता दी!!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना हरीश जी बस यही कह सकती हूँ Hats off to you. आपके और आपके स्वजनों को भी नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteमाता आपकी हर मनोकामना पूर्ण करे |