Saturday, January 8, 2011

आज़ादी का वो बोर्ड........


दोस्तों  शहीदी दिवस की  तारीख़े कितने बरस तक याद रह पाती हैं सबको हम भूलते जाते हैं, शहीदों की उन निशानियों को साल दर साल, मैं इसे आज़ादी का बोर्ड कहता हूं जिस पर टांगते हैं हम इन शहीदों की निशानियों को पर उन बोर्डों का क्या हाल हैं यही मेरी व्यथा हैं............

ओर उन वीरों ने
अपने लहू की तहरीरों से
आज़ादी का वो बोर्ड तय्यार किया
जिस पर
चाहिए था तुम्हे गर्व करना
चाहिए था तुम्हे उसके खंबों को
बचाना दास्तां की दीमक से
रोक लेना उन कुल्हाड़ों को
जो उस बोर्ड के
अंतरसथल को बेधित करते हों
पर तुमने, तुमने क्या किया
तुमने अपने तथाकथित संवेधानिक
अधिकारों का दुष्प्रयोग करते हुए
चिपका दिए इस बोर्ड पर
बलात्कार से भ्रष्टाचार तक के इश्तिहार
अपनी कुत्सित हो चुकी मानसिकता के
अश्लील पोस्टर
ओर साम्राज्यवाद की अस्थियों से दूषित
दोहरी मानसिकता के लाल निशान
माना की तुम स्वतंत्र हो चुके थे
पर सिर्फ़ बाह्य तौर पर ना
तुम अपनी अंतरात्मा पर छाए हुई
धधकते ओपनिवेशिकता के
कोयले से निकले
गुलामी के धुए की परत को
इस स्वतंत्र परचम से
सॉफ तो न कर पाए थे
तुम सिर्फ़ शोषित हो चुकी
मानसिकता पर आज़ादी का
संवेधानिक लबादा ओढ़े
ढोल पीटते रहे अपने अधिकारों का
ओर थोपते रहे खुद पर
ओर आने वाली नस्लों पर
की तुम स्वतंत्र हो, तुम गणतंत्र हो
ओर अनसुना करते रहे उन चीत्कारों को
जो तुमसे कहती रही की
कोई हक़ नही हैं तुम्हे
इस तिरंगे के नीचे खड़े होने का
तुम पूर्ण स्वतंत्र नही हो
सिर्फ़ स्वतंत्रता का
संवेधानिक नारा मात्र हो
तुम पूर्ण मनुष्य भी नही हो
सिर्फ़ भस्मीत हो चुकी मनुष्यता की
धारणा की अस्थि मात्र हो
क्योंकि तुम्हे
उन बोर्डों के नीचे से रिस्ता हुआ लहू
अब दिखाई नही देता
तुम्हे अपनी अंतरात्मा पर छाई
गुलामी की धुए की परत महसूस नही होती
तुम्हे सिर्फ़ दिखाई देते हैं
संविधान के अनुच्छेदों मैं वर्णित
तुम्हारे अधिकार
ओर सुनाई देती हैं केवल
२१ तोपो की गढ़गढ़ाहट
ओर उन सब के बीच
नापाक होते शहीदों के निशा
मुझे अपनी
अकर्मण्यता का अहसास दिलाते हैं
मुझे इन आज़ादी के शहीदों के बोर्डों का
कोई भविष्य दिखाई भी नही देता
क्योकि
स्वयं संविधान के मिस्त्री
ओर मेरे शहर के रहनुमा
ढूँढ रहे हैं कोई बोर्ड
अपना चुनाव चिन्ह चिपकाने के लिए

1 comment:

  1. bahut hi sargavit rachna hai. bahut hi marmik prastuti durbhagywas hamare hi desh ki tashwir hai yah

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