Saturday, February 26, 2011

उसने फिर से,.. गजल सुनाई हैं

जख्म अश्कों से, धो गया कोई !
ख्वाब आँखों  में , बो गया कोई !!

उसके हाथों मैं,.. कारसाज़ी थी !
थपकियों में ही,.. सो गया कोई !!

दिलकी खिड़की तो बंद कर लेते !
फिर न कहना कि लो, गया कोई !!

उसकी कोशिश तो थी हँसाने की !
कम नसीबी में..... रो गया कोई !!

फिर न आया पलटके.. आइन्दा !
मुह फुला करके... जो गया कोई !!

ऐसी दिल की लगी, अदावत में !
जिंदगी भर का.... हो गया कोई !!

उसने फिर से,.. गजल सुनाई हैं !
फिर तलाशो कि.. खो गया कोई !!

जख्म अश्कों से, .धो गया कोई !
ख्वाब आँखों मैं,....बो गया कोई !!

4 comments:

  1. Bahut hi khubsurti se bhavon ko shabdon mein piroya hai aapne ek bahut hi khubsurat gazal

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  2. बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..

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  3. हरीश जी आपका लिखा एक एक शब्द दिल के करीब लगता है.....दिल से लिखते है आप बहुत खूब ..ऐसे ही लिखते रहे

    फिर से दिल पर दस्तक दे गया वो
    आंसू ले इस डूबते को हँसी का तोहफा दे गया वो

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