ख्वाब आँखों में , बो गया कोई !!
उसके हाथों मैं,.. कारसाज़ी थी !
थपकियों में ही,.. सो गया कोई !!
दिलकी खिड़की तो बंद कर लेते !
फिर न कहना कि लो, गया कोई !!
उसकी कोशिश तो थी हँसाने की !
कम नसीबी में..... रो गया कोई !!
फिर न आया पलटके.. आइन्दा !
मुह फुला करके... जो गया कोई !!
ऐसी दिल की लगी, अदावत में !
जिंदगी भर का.... हो गया कोई !!
उसने फिर से,.. गजल सुनाई हैं !
फिर तलाशो कि.. खो गया कोई !!
जख्म अश्कों से, .धो गया कोई !
ख्वाब आँखों मैं,....बो गया कोई !!
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
ReplyDeleteBahut hi khubsurti se bhavon ko shabdon mein piroya hai aapne ek bahut hi khubsurat gazal
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..
ReplyDeleteहरीश जी आपका लिखा एक एक शब्द दिल के करीब लगता है.....दिल से लिखते है आप बहुत खूब ..ऐसे ही लिखते रहे
ReplyDeleteफिर से दिल पर दस्तक दे गया वो
आंसू ले इस डूबते को हँसी का तोहफा दे गया वो