Friday, February 24, 2017

मैं कहने को समंदर हूँ.

तुम्हें मुझसे मोहब्बत हैं, ये सचमुच जानता हूँ मैं ! 
की अपने आप से बढ़ कर, तुम्हें ही मानता हूँ मैं !!
के इक पल का नहीं हैं ये कई जन्मों का नाता हैं !
मुझे पहचानती हो तुम ......तुम्हें पहचानता हूँ मैं !!   

वो मंजर याद हैं मुझको, जिन्हें तुम ने सजाया था !
वो नगमा याद हैं मुझको, जो तुमने गुनगुनाया था !!
कभी हक था मुझे भी, तुमको अपना कह दिया मैंने !
तुम्हें एतराज भी कब था ....तुम्हीं ने आजमाया था !!  

ये लम्हों की जुदाई कोयूं अब मैं सह नहीं सकता ! 
मैं कहने को समंदर हूँ.... मगर मैं बह नहीं सकता !! 
इसे तुम आशिक़ी समझो या तुम दीवानगी कह लो ! ​
तुम्हें कितना भी चाहूँ मैं, ये तुमसे कह नहीं सकता !! 

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