Saturday, April 29, 2017

कौन मरता हैं, आशिकी के लिए !!

इश्क़ आसां नहीं, किसी के लिए !
कौन मरता हैं, आशिकी के लिए !!

किस ज़माने, की बात करते हो !
ये जमाना हैं, दिल्लगी के लिए !!

मेरा ओरों से,, वास्ता क्या था !
मैं यहाँ हूँ तो, आप ही के लिए !!

तुझसे रोशन हैं, गैर की महफ़िल !
मैं भटकता हूँ,, तीरगी के लिए !!

तुमसे दो बात, प्यार की कर लूं !
पास बैठो तो,, दो घड़ी के लिए !!

मेरी बातों को दिल पे मत लेना !
यूंही कह बैठा, बतकही के लिए !!

उसके चेहरे पे, तिल नहीं हैं वो !
उसको देखो तो, सादगी के लिए !!

तेरी आँखों में, मिल ही जायेगा !
एक अदद शेर, शायरी के लिए !!
हरीश भट्ट ....

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