बस, गुजरने का रास्ता रखना !!
लब पे चाहे न आ सके फिर भी
दिल में छोटी सी, दास्तां रखना !
रोज़ एक चाँद सा मिले छत पे
खुद को हमसे यूं, आशना रखना !
गर जमीनों से की मोहब्बत हो
दफ्न आखों में, आसमां रखना !
लब पे चाहे न आ सके फिर भी
दिल में छोटी सी, दास्तां रखना !
रोज़ एक चाँद सा मिले छत पे
खुद को हमसे यूं, आशना रखना !
गर जमीनों से की मोहब्बत हो
दफ्न आखों में, आसमां रखना !
हमसफ़र हो न हो मिले न मिले
साथ यादों का, कारवां रखना !!
रोज मिलने न आ सको तो भी
एक ख़त का तो सिलसिला रखना !
एक ख़त का तो सिलसिला रखना !
Wooooooow loved reading this
ReplyDeleteएक बार पढ़ा फिर पढ़ा फिर से पढ़ा फिर फिर फिर पढ़ा बार बार पढ़ा और जब जब पढ़ा काफी अच्छी लगी रचना बिलकुल दिल को छूती हुई सी गज़ब की फीलिंग है इस रचना में I cant explain but this is simply gr8 amazing wonderful mindblowing just superb
साथ यादो का कारवां रखना..... बहुत बहुत खुबसूरत ग़ज़ल.....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ..
ReplyDeletekya baat hai..har baar ki tarah lajawaab
ReplyDelete