Thursday, July 6, 2017

घनाक्षरी

रभु राम की केवट लीला को शब्द देने की कोशिश एक घनाक्षरी

सरयू के घाट पर
....केवट की खाट पर !
..........बैठे प्रभू राम बोले
............पार हमें सार दो ?!!

पास नहीं कुछ धन
.....जानकी लखन जन !
...........विनती हैं हमें तुम
...........अबके उबार  दो ?!!

केवट ये बोला प्रभो
.......पार में उतार दूंगा !
...........एक मेरी विनती हैं
...........ध्यान में निकार दो  !!

जिस दिन किसी क्षण
.....बारी मेरी आएगी तो
............इस भव सागर से
................नाथ मुझे तार  दो

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