रभु राम की केवट लीला को शब्द देने की कोशिश एक घनाक्षरी
सरयू के घाट पर
....केवट की खाट पर !
..........बैठे प्रभू राम बोले
............पार हमें सार दो ?!!
पास नहीं कुछ धन
.....जानकी लखन जन !
...........विनती हैं हमें तुम
...........अबके उबार दो ?!!
केवट ये बोला प्रभो
.......पार में उतार दूंगा !
...........एक मेरी विनती हैं
...........ध्यान में निकार दो !!
जिस दिन किसी क्षण
.....बारी मेरी आएगी तो
............इस भव सागर से
................नाथ मुझे तार दो
सरयू के घाट पर
....केवट की खाट पर !
..........बैठे प्रभू राम बोले
............पार हमें सार दो ?!!
पास नहीं कुछ धन
.....जानकी लखन जन !
...........विनती हैं हमें तुम
...........अबके उबार दो ?!!
केवट ये बोला प्रभो
.......पार में उतार दूंगा !
...........एक मेरी विनती हैं
...........ध्यान में निकार दो !!
जिस दिन किसी क्षण
.....बारी मेरी आएगी तो
............इस भव सागर से
................नाथ मुझे तार दो
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