किसी बायस किसी
सूरत से तू जुदा लगे !
तू कभी दूर भी जाये तो फांसला न लगे !!
तू कभी दूर भी जाये तो फांसला न लगे !!
मैं नफरतों के अजब, दौर से गुजरा हूँ !
जहाँ कोई मुझे मेरे सिवा खुदा न लगे !!
ये कैसा इश्क हैं तेरा कैसी तरफदारी हैं !
के तू मेरा हो कर भी कभी मेरा न लगे !
ये बद्दुआ हैं तुझे गर किसी को चाहे तू !
खुदा करे की तुझे कोई मेरे सिवा न लगे !!
मेरी गली से गुजरता हैं वो कभी यूं भी !
के मुझसे हो भी तो कोई भी वास्ता न लगे !!
तेरी गजल में मुकम्मल करूं तो कैसे करू !
जो में रदीफ़ को पकडू तो काफिया न लगे !!
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