नज़्म....
मेरी शाम अब भी उदास हैं
इसे कैसी जाने ये प्यास हैं
हैं ये सूनी सूनी सी रहगुज़र
किसी कारवां की तलाश हैं
तेरे हाथ में.....मेरा हाथ था
ये साथ भी कोई कम न था
मेरी हसरतों का सिला हैं ये
मुझे फिर भी कोई गिला नहीं
तेरा इसमें कोई कसूर क्या
तुझे वक्त भी तो मिला नहीं
तेरा जिक्र तेरा ख्याल था
तुझे सोचना कोई कम न था
तुझे चाहा था
मैंने...उम्र भर !
ये हौसला भी तो कम न था !!
ये हौसला भी तो कम न था !!
एक तेरे ...गम के सिवा मुझे !
मुझे और कोई भी
गम न था !!
तूने साथ मेरा दिया नहीं
मेरे हमकदम तू रहा नहीं
था अकेला फ़सल-ए-बहार मैं
कोई फूल भी तो खिला नहीं
तूने साथ मेरा दिया नहीं
मेरे हमकदम तू रहा नहीं
था अकेला फ़सल-ए-बहार मैं
कोई फूल भी तो खिला नहीं
तुझे पाया फिर
भी ख्याल में
ये भी राबता कोई कम न था
ये भी राबता कोई कम न था
एक तेरे ...गम के सिवा मुझे !
मुझे और कोई भी
गम न था
मेरी शाम अब भी उदास हैं
इसे कैसी जाने ये प्यास हैं
हैं ये सूनी सूनी सी रहगुज़र
किसी कारवां की तलाश हैं
तेरे हाथ में.....मेरा हाथ था
ये साथ भी कोई कम न था
एक तेरे ... गम के सिवा मुझे !
मुझे और कोई भी
गम न था !!
मेरी हसरतों का सिला हैं ये
मुझे फिर भी कोई गिला नहीं
तेरा इसमें कोई कसूर क्या
तुझे वक्त भी तो मिला नहीं
तेरा जिक्र तेरा ख्याल था
तुझे सोचना कोई कम न था
एक तेरे ...गम के सिवा मुझे !
मुझे और कोई भी गम न था
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