कल शाम आफिस से
घर जाते समय जाम में बुरी तरह फस गया
एक तो जाम, गर्मी ऊपर से घनाक्षरी के घन
जो कुछ हुआ तय हैं घनाक्षरी तो नहीं हुई, आप बीती हुई आप भी सुन लीजिये
एक तो जाम, गर्मी ऊपर से घनाक्षरी के घन
जो कुछ हुआ तय हैं घनाक्षरी तो नहीं हुई, आप बीती हुई आप भी सुन लीजिये
उड़ रही पुरवाई,, गरमी की रुत आई !
....जाम चहुँ और लगा,पसीना चुआता हैं !
............घाम घनघोर लगे, आम पर बोर लगे !
.............कुलफी को देख देख, मन ललचाता हैं !!
एक पीछे टेक रहा, दूजा खड़ा देख रहा !
.......होरन बजा बजा के, मुझको डराता हैं !!
.............कुलफी को देख देख, मन ललचाता हैं !!
एक पीछे टेक रहा, दूजा खड़ा देख रहा !
.......होरन बजा बजा के, मुझको डराता हैं !!
.............एक तो ये मारामारी, उस पर छंद भारी !
...................कैसे होगा आयोजन, मन घबराता हैं !!
...................कैसे होगा आयोजन, मन घबराता हैं !!
गरम हैं दिन बड़ा, बीच मैं सड़क खड़ा !
.....इंच इंच बड रहा,.....तैश बड़ा आता हैं !!
...........कल से ही पेंच में हूँ, घन की चपेट में हूँ !
..................गिनता हूँ अक्षर तो,, सर घूम जाता हैं !!
सत्य तो प्रखर ही हैं, आज तो भ्रमर भी हैं !
..................गिनता हूँ अक्षर तो,, सर घूम जाता हैं !!
सत्य तो प्रखर ही हैं, आज तो भ्रमर भी हैं !
......नीलम अमित जी क, छंद ही तो भाता हैं !!
..........मोहिनी आकाश कहें,, आप खुद देख लीजे !...................हमें मत समझाएं, .......हमें सब आता हैं !!
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