उँगलियाँ
रख कर
"मोहब्बत"
हर्फ़ पर,
उसने मासूमी
से पूछा
"क्या हैं ये" !!
रख कर
"मोहब्बत"
हर्फ़ पर,
उसने मासूमी
से पूछा
"क्या हैं ये" !!
रुक गए
उड़ते परिंदे
उड़ते परिंदे
बाम पर,
दिलजला मौसम
नवाबी हो गया ,
कसमसा कर
शोखियाँ
घुलती गई,
घुलती गई,
चाँद सा चेहरा
गुलाबी
हो गया !
हो गया !
सिलसिला ताशब
मुसलसल
ही रहा
जिस्म से फिर
ही रहा
जिस्म से फिर
इत्र सा
झरता रहा,
झरता रहा,
रात भी ना
होश में
फिर आ सकी ,,
सुब्ह तक वो,
तर्जुमा
करता रहा !!
करता रहा !!
....हरीश...
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