आज फिर इक चाह ने देखो नमित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
फूल रजनीगंधा के.. चहु ओर विस्मृत हो गए थे !
कल्पना के सब रंग बिखरे धूल धूसित हो गए थे !!
कौन सा सन्दर्भ हैं ..जिसने भ्रमित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
खो दिया हैं मीत मैंने ..गीतिका के सब सुरों को !
दिग्भ्रमित बैठे हुए ...परिकल्पना के अक्षरों को !!
ओस बूंदों ने सुमन-आनन द्रवित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
सोचता हूँ कैसे शंशय इन नैनों से प्रेषित हो गए !
शब्द क्या कहने थे मुझको क्या समर्पित हो गए !!
सामने बैठा था मेरे.. क्यों क्षितिज सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
आज फिर इक चाह ने देखो नमित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
फूल रजनीगंधा के.. चहु ओर विस्मृत हो गए थे !
कल्पना के सब रंग बिखरे धूल धूसित हो गए थे !!
कौन सा सन्दर्भ हैं ..जिसने भ्रमित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
खो दिया हैं मीत मैंने ..गीतिका के सब सुरों को !
दिग्भ्रमित बैठे हुए ...परिकल्पना के अक्षरों को !!
ओस बूंदों ने सुमन-आनन द्रवित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
सोचता हूँ कैसे शंशय इन नैनों से प्रेषित हो गए !
शब्द क्या कहने थे मुझको क्या समर्पित हो गए !!
सामने बैठा था मेरे.. क्यों क्षितिज सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
आज फिर इक चाह ने देखो नमित सा कर दिया !
तुमने यूं देखा पलट मुझको चकित सा कर दिया !!
बहुत खूब कहा..बधाई
ReplyDeleteदुनाली पर देखें
बेटे की नज़र में क्रूर था लादेन
''शब्द क्या कहने थे मुझको.........क्या समर्पित हो गए...''''...........
ReplyDeleteबड़ी सच्ची बात है.................और चकित ह्रदय......कर जाता है .....ऐसा..........अक्सर.....
सुंदर रचना....