सोचा किसी को पत्र लिखूँ और कहूँ की .....
प्रिय मुझे जब, पत्र लिखो तो !
तुम कुछ.. ऐसा सा लिखना !!
पंक्ति पंक्ति में ....तुम रहना, !
और पृष्ठ पृष्ठ, मुझसा रखना !!
लिख देना कुछ ..कागज़ पर !
मैं उसमें तुमको...पढ़ लूँगा.!!
तुम अक्षर अक्षर.. रच जाना !
मैं चित्र चित्र सा ...गढ़ लूँगा !!
तुम अंत में अपना रख लेना !..
पर ऊपर नाम ...मेरा रखना !!
पंक्ति पंक्ति में .....तुम रहना,!
और पृष्ठ पृष्ठ, मुझ सा रखना !!
तुम छू लेना जरा सा, होंठों से !
सांसें मुझको, महका जाएँगी !!
भावों को तूलिका ...कर लेना !
यादें ...मुझको सहला जाएँगी !
नाम भले ही ....मत लिखना !
पर एहसास .....सदा रखना !!
पंक्ति पंक्ति में .....तुम रहना,!
और पृष्ठ पृष्ठ, मुझ सा रखना !!
बीते हुए प्रतिक्षण में, शामिल !
अविरल प्रतिक्षा, लिख देना !!
अतृप्त विरह की... नीरवता !
स्नेहिल शुभेच्छा ..लिख देना !!
उम्मीद भले तुम कम लिखना !
मुझ पर विश्वास खरा रखना !!
पंक्ती पंक्ती में .....तुम रहना !
और पृष्ठ पृष्ठ मुझसा रखना !!
लिख देना... वेदनाएं मन की !
सब अश्रु स्वेद भी लिख देना !!
इतने वर्षों का .......राग द्वेष !
औ मन विभेद भी लिख देना !!
बस इतना अर्चन हैं ....तुमसे !
बीते दिन याद...जरा रखना !!
पंक्ति पंक्ति में .....तुम रहना !
और पृष्ठ पृष्ठ, मुझ सा रखना!!
तुम्हारा
हरीश भट्ट
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