रेज़ा रेज़ा जल
रहा हूँ ....धूप में !
रेशा रेशा गल रहा हूँ .....धूप में !!
साया-ए-दीवार, कहती हैं की रुक !
हाथ अपने मल रहा हूँ... धूप में !!
पाँव का तलवा, सिसकता हैं बहुत !
रख के सर पर चल रहा हूँ, धूप में !!
तन बदन से, उठ रहा हैं इक धुआं !
खुद को जैसे तल रहा हूँ ...धूप में !!
रेशा रेशा गल रहा हूँ .....धूप में !!
साया-ए-दीवार, कहती हैं की रुक !
हाथ अपने मल रहा हूँ... धूप में !!
पाँव का तलवा, सिसकता हैं बहुत !
रख के सर पर चल रहा हूँ, धूप में !!
तन बदन से, उठ रहा हैं इक धुआं !
खुद को जैसे तल रहा हूँ ...धूप में !!
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