शुभ संध्या दोस्तों
...माहिया छंद ...
उस पार खड़ी थी वो,-2
......सोणी लगती थी
कम-उम्र बड़ी थी वो ।।
दरिया ये बहता हैं ,-2
.......दूर किनारे हैं
बस इतना कहता हैं ।।
मिलने की जल्दी हैं, -2
.....कब तक आओगे
अब जान निकलती हैं ।।
कहती शहनाई हैं,-2
....प्रीत न करना तू
ये पीर पराई हैं ।।
इश्के दी रुत आई,-2
.....नाल परांदे दे
गुत तेरी लहराई ।।
अम्बियों के गुच्छे हैं,-2
.....तोड़ न देना तू
अभी उम्र में कच्चे हैं ।।
तुझ बिन सब रीत गया,-2
....कब तक याद करें
जीवन तो बीत गया ।।
दुनिया थी बाहों में,-2
.....यार गवां बैठे
हम इश्क़ की राहों में ।।
....हरीश....