नमस्कार दोस्तों ..
कुछ दुमदार दोहे ...रोज़ डे के नाम
(केवल हास्य हेतु).
लाल ललाम थी कामिनि, कर में लाल गुलाब !
अखियन से घायल करे, उसका नहीं जवाब !!
नयन से गोली मारे !!
रोज़ रोज़ को देख कर, मन ही मन हुलसाय !
रोज दिया जो रोज को, विह्सें मुह बिचकाय !!
सड़क पे फैके सारे !!
कैसा यह दस्तूर हैं, अजब विधि का विधान !
फूल फूल को फूल दे, देख सखी उपमान !!
कहीं का ना रक्खा रे !!
जान हैं किसी और की, उसको जान न जान !
घर जो मान बढ़ा रही, उसको अपना मान !!
पतिव्रत धर्म निभा रे !!
कंचन काया कौमुदी, कोमल कलि कचनार !
क्या मैं उसको भेंट दूं, मुख जिसका रतनार !!
गुलिस्तान उस पर वारे !!
हरीश भट्ट
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