प्रकार - मनहरण घनाक्षरी
पति उवाच
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मोबाइल धारिणी तू
.....फेसबुक तारिणी तू
.........वाट्स अप त्याग प्रिये
.....................आज इतवार हैं..!!
सुबह की हाय नहीं
.....एक कप चाय नहीं
...........शेव कैसे बने रानी
................ये तो अत्याचार हैं..!!
स्टेटस की होड़ छोड़
.......लाइको से मुख मोड़
..............ऑफ़ करो मेसेंजर ......
.......................आज रविवार हैं ..!!
मेसेजस बीप रहे
.........फोलोवर टीप रहे
..............पति सारे झीक रहे
.........................ये तो दुराचार हैं..!!
पत्नी उवाच
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चख चख मत कीजे
........पति देव सुन लीजे
...............रविवार आपका हैं
........................मेरे सारे वार हैं..!!
शेव जो बनानी होतो
......चाय भी जो पीनी होतो
...............नुक्कड़ पे जाइये जी
.........................सारे दुकांदार हैं..!!
रात के स्टेटस सारे
.........इन्तजार के हैं मारे
...............दस पांच इस्माइली
..........................की ही दरकार हैं..!!
प्रोफाइलो की हूँ रानी
.....सेल्फियों की मैं दीवानी
................जा रही हैं ये जवानी
...........................दिन बस चार हैं..!!
...हरीश भट्ट ......
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