दिल को मेरे यूं छू के कोई गैर हो गया
फूलों के तसव्वुर मैं जैसे जहर भर गया
नाहक ही परेशा रही धड़कन मेरी दिनरात
नज़रोंसे कोई सख्श जो दिल मैं उतर गया
जज्बातों को ज़िद थी मेरे तू गैर नही हैं
हर लम्हा मगर मेरा अश्कों से तर गया
तुमको तो चलो दिलसे मेरी दुश्मनी नथी
वर्ना ये यूँही कत्ल हुआ जिस तरफ गया
अच्छा हैं पास रहके भी तुम दूर ही रहे
मैं भी कहीं अब दूर ही जाउँगा गर गया
सोचना जो मेरी याद बहुत आए किसी दिन
मुजरिम तेरा शहर मैं शायद वो मर गया
फूलों के तसव्वुर मैं जैसे जहर भर गया
नाहक ही परेशा रही धड़कन मेरी दिनरात
नज़रोंसे कोई सख्श जो दिल मैं उतर गया
जज्बातों को ज़िद थी मेरे तू गैर नही हैं
हर लम्हा मगर मेरा अश्कों से तर गया
तुमको तो चलो दिलसे मेरी दुश्मनी नथी
वर्ना ये यूँही कत्ल हुआ जिस तरफ गया
अच्छा हैं पास रहके भी तुम दूर ही रहे
मैं भी कहीं अब दूर ही जाउँगा गर गया
सोचना जो मेरी याद बहुत आए किसी दिन
मुजरिम तेरा शहर मैं शायद वो मर गया
very nice
ReplyDeleteसोचना जो मेरी याद बहुत आए किसी दिन
मुजरिम तेरा शहर मैं शायद वो मर गया
mast hai
very nice gazal........
ReplyDeletevery nice gazal........
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