तिनका तिनका बिखर न जाऊं मैं
अहद-ए-वफ़ा को गर निभाऊं मैं
जाने कैसा सितम हो क्या मंज़र
करके वादा अगर न जाऊं मैं
सर-ए-बाजार उसने क़त्ल किया
कैसे सबसे नजर मिलाऊं मैं
वक्त-ए-रुख्सत न तुने याद किया
अब भला तुझको क्यों भुलाऊं मैं
इश्क हैं या जुनूं हैं क्या मालूम
इस तलातुम में जी न पाऊं मैं
BAHUT KHOOB..........BEHTREEN
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