दोस्तो इस दीपोत्सव पर मैं एक शुभकामना एक संकल्प लेता हूं
ईश्वर से..........
नव प्रकाश नव अभिव्यंजन.....
नव पल्लव कुसुमित घर आँगन
हे दीप शिखा हे धवल दूत,
हूँ दीन करूँ मैं क्या अर्पण
निष्काम भाव से ओत प्रोत,
बस पुष्प पात ओर अभिनंदन
आप से.........
दो दीप जला कर उजियारे के
गाँव के पथ पर रख देना
घनघोर तिमिर हो कालरात्रि हो
तिल मात्र जगह भी मत देना
यह आँधियाला अज्ञान का हैं
इसे दिव्य ज्योति से ढक देना
खुद से.....
तू दिया सरीखा माटी का
निज प्रज्वलित कर मन मैं ज्वाला
तू राम भी हैं रावण भी तूही
कर रण नीनाद कर के तो दिखा
तम को मत हावी कर मन पर
सब राह तकें वो राह दिखा
ईश्वर से..........
नव प्रकाश नव अभिव्यंजन.....
नव पल्लव कुसुमित घर आँगन
हे दीप शिखा हे धवल दूत,
हूँ दीन करूँ मैं क्या अर्पण
निष्काम भाव से ओत प्रोत,
बस पुष्प पात ओर अभिनंदन
आप से.........
दो दीप जला कर उजियारे के
गाँव के पथ पर रख देना
घनघोर तिमिर हो कालरात्रि हो
तिल मात्र जगह भी मत देना
यह आँधियाला अज्ञान का हैं
इसे दिव्य ज्योति से ढक देना
खुद से.....
तू दिया सरीखा माटी का
निज प्रज्वलित कर मन मैं ज्वाला
तू राम भी हैं रावण भी तूही
कर रण नीनाद कर के तो दिखा
तम को मत हावी कर मन पर
सब राह तकें वो राह दिखा
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