कभी तो पास बैठो तुम,, कभी तो मुस्कुराओ तुम!
ज़िसे अपना समझ लूं मैं, कोई तो गीत गाओ तुम!!
मुझे तुमसे मोहब्बत हैं, बस इतना ही तो कहना हैं!
ज़रा कांधे पे सर रख दो, ज़रा नजरें झुकाओ तुम!!
ये मंजर देख कर तुमको, यकीनन रुक गया होगा!
के सजदे में ज़मी होगी, गगन भी झुक गया होगा!!
गुजरती हैं समन्दर की.... हवायें तुमको छू कर के!
की तकते हैं नजारे भी, ज़िधर भी रुख गया होगा!!
के दो दिल एक जां हैं हम, मुझे ये तुमसे कहना हैं!
ज़िधर भी तुम चलो हमदम, हमें तो साथ चलना हैं!!
अकले तुम मेरे बिन दो कदम भी,, चल न पाओगे!
की तुम हो दीप मैं बाती.. हमें तो साथ जलना हैं!!
मोहब्बत कर तो लें... लेकिन निभाई कैसे जायेगी!
हैं कितनी दूरियां हममें..... तुम्हारी याद आयेगी!!
हां मैं लौटूँगा मर कर भी.... ये मेरा तुमसे वादा हैं!
की मेरी राह तकना तुम.... मोहब्बत मुस्कुरायेगी!!
ज़िसे अपना समझ लूं मैं, कोई तो गीत गाओ तुम!!
मुझे तुमसे मोहब्बत हैं, बस इतना ही तो कहना हैं!
ज़रा कांधे पे सर रख दो, ज़रा नजरें झुकाओ तुम!!
ये मंजर देख कर तुमको, यकीनन रुक गया होगा!
के सजदे में ज़मी होगी, गगन भी झुक गया होगा!!
गुजरती हैं समन्दर की.... हवायें तुमको छू कर के!
की तकते हैं नजारे भी, ज़िधर भी रुख गया होगा!!
के दो दिल एक जां हैं हम, मुझे ये तुमसे कहना हैं!
ज़िधर भी तुम चलो हमदम, हमें तो साथ चलना हैं!!
अकले तुम मेरे बिन दो कदम भी,, चल न पाओगे!
की तुम हो दीप मैं बाती.. हमें तो साथ जलना हैं!!
मोहब्बत कर तो लें... लेकिन निभाई कैसे जायेगी!
हैं कितनी दूरियां हममें..... तुम्हारी याद आयेगी!!
हां मैं लौटूँगा मर कर भी.... ये मेरा तुमसे वादा हैं!
की मेरी राह तकना तुम.... मोहब्बत मुस्कुरायेगी!!
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