तेरी खुशबू का असर,, देर तक रहा होगा !
मेरा कमरा भी अभी तक महक रहा होगा !!
मेरा कमरा भी अभी तक महक रहा होगा !!
तेरे ही इश्क़ में वो शिद्दत, नहीं होगी वरना !
जमीं से दूर भी कब तक, फलक रहा होगा !!
उसको देखूं उसको सोचूँ की उससे बात करू !
उसके भी जहन में क्या जाने पक रहा होगा !!
मेरे होंठों पर हसीं,, अब तलक भी चस्पा हैं !
तेरा कंगन भी अभी तक, खनक रहा होगा !!
चंद तस्वीरें तेरी अब भी, मेरी दराज़ में हैं !
मेरा इतना तो यकीनन ही हक रहा होगा !!
मैं इस उम्मीद पर हर बार,, लौट आता हूँ !
कोई तो होगा.... मेरी राह तक रहा होगा !!
हरीश भट्ट....
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