जाने क्या क्या मेरी, बातों के इशारे बैठे !
दिल मेरा सौ सौ दफा,, दर्द के मारे बैठे !!
जो रंजिशें हैं बिना बात की, सुलझा लेंगे !
आ के फुर्सत किसी दरिया के किनारे बैठें !!
चल कहीं बैठ के दिलकश से तराने लिख दे
इक मुझे ख़त कहीं मिलने के बहाने लिख दे
ये जो ख़ामोशी सी पसरी हैं समंदर की तरह
आ के इस पर तू मुहब्बत के फ़साने लिख दें
No comments:
Post a Comment