सुना हैं
आज
आज
तुम्हारा जन्मदिन है
पर मैंने तो
सुना था की
परियां
जन्म नहीं लेती
आसमान से उतरती हैं
ये भी की
लौट जाती हैं
अपने अपने
परिस्तान मैं
ख्वाब
पूरे हो जाते हैं जब
वो तो
परे हैं
जन्मने अजन्मने
के बंधन से
फिर भी
बधाई देता
हर पल छिन हैं
सुना हैं की
बधाई देता
हर पल छिन हैं
सुना हैं की
आज
तुम्हारा
तुम्हारा
जन्मदिन हैं
तभी मैं कहूं
आज
कुछ जियादा हैं
रौशनी शायद
खुशबूएं हैं
हवाओं में
रागनी सी हैं
बहका हुआ हैं
हर इक गुलाब
इतराया हुआ सा
गुलमोहर पे आमादा
शायरी सी हैं
रक्खें हों किसी ने
आज दुनिया मैं
कदम
मुमकिन हैं
सुना हैं
की आज
तुम्हारा जन्मदिन हैं
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