झुकी हों ग़र तो मीनारों से बचना !
दरारें हों तो ...दीवारों से बचना !!
कहीं का भी नहीं, छोड़ेंगे तुझको !
हमेशा इश्क के, मारों से बचना !!
सुनो ख्वाहिश भी जान लेती हैं !
सुबह के टूटते.. तारों से बचना !!
सियासत का, मिजाज़ बदला हैं !
शहर में गूंजते, नारों से बचना !!
तुम्हारी जान ले लेंगे किसी दिन !
मुहब्बत में अदाकारों से बचना !!
दरारें हों तो ...दीवारों से बचना !!
कहीं का भी नहीं, छोड़ेंगे तुझको !
हमेशा इश्क के, मारों से बचना !!
सुनो ख्वाहिश भी जान लेती हैं !
सुबह के टूटते.. तारों से बचना !!
सियासत का, मिजाज़ बदला हैं !
शहर में गूंजते, नारों से बचना !!
तुम्हारी जान ले लेंगे किसी दिन !
मुहब्बत में अदाकारों से बचना !!
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