Sunday, December 10, 2017

दीवारों से बचना

झुकी हों ग़र तो मीनारों से बचना !
दरारें हों तो ...दीवारों से बचना !!

कहीं का भी नहीं, छोड़ेंगे तुझको !
हमेशा इश्क के, मारों से बचना !!

सुनो ख्वाहिश भी जान लेती हैं !
सुबह के टूटते.. तारों से बचना !!
 

सियासत का, मिजाज़ बदला हैं !
शहर में गूंजते, नारों से बचना !!
 

तुम्हारी जान ले लेंगे किसी दिन !
मुहब्बत में अदाकारों से बचना !!

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