शुभ दुपहरिया दोस्तों
दुमदार दोहे ....
शाम सुहानी हैं मगर, विचलित हैं आकाश!!
नदियों में कलरव नहीं, मन में नहीं उजास!!
निपट एकांत का मारा !
नदियों में कलरव नहीं, मन में नहीं उजास!!
निपट एकांत का मारा !
वृक्ष नही वन में कहीं, जल विहीन हैं ताल!
सूनी सूनी गोद हैं, .........धरती हैं बेहाल!!
घटायें कब बरसेंगी !
सूनी सूनी गोद हैं, .........धरती हैं बेहाल!!
घटायें कब बरसेंगी !
तुझको क्या मैं नाम दूं ,राम कहूं रहमान !
घट घट तेरा वास हैं, ..पग पग तेरी शान!!
दरश को तरसे हैं मन !
घट घट तेरा वास हैं, ..पग पग तेरी शान!!
दरश को तरसे हैं मन !
हरि बिन पार न पावही, लाख करे तू टाल!
कर्म बिना पर गति नहीं, यह कैसा जंजाल !!
वही अब पार लगाये !
कर्म बिना पर गति नहीं, यह कैसा जंजाल !!
वही अब पार लगाये !
कबहु प्रीत ना कीजिये, कठिन प्रीत की रीत !
ठेस लगे से गिर पड़े, ..ज्यों माटी की भीत !!
प्रीत की रीत बुरी हैं !
ठेस लगे से गिर पड़े, ..ज्यों माटी की भीत !!
प्रीत की रीत बुरी हैं !
देख सखी सुन ले जरा,.....बात जरा गंभीर !
प्रेम रोग सबसे बड़ा, विकट बड़ी यह पीर !!
सखी री पछताओगी !
प्रेम रोग सबसे बड़ा, विकट बड़ी यह पीर !!
सखी री पछताओगी !
हो विमर्श हर बात पर, आपा काहे खोय !
मत का चाहे भेद हो, मन का भेद न होय!!
न तलवारे तुम खीचों !
मत का चाहे भेद हो, मन का भेद न होय!!
न तलवारे तुम खीचों !
मेरा दुख सब से बड़ा, सोचे ये दिन रात !
क्यों तू खुद को दोष दे, घर घर की हैं बात!!
यही हैं दुनियादारी !
क्यों तू खुद को दोष दे, घर घर की हैं बात!!
यही हैं दुनियादारी !
बेटी ब्याह न दीजिये, .......देकर दान दहेज़!
जीवन भर सुख ना मिले, ज्यों काँटों की सेज़ !!
जेल जाओगे सुन लो !
जीवन भर सुख ना मिले, ज्यों काँटों की सेज़ !!
जेल जाओगे सुन लो !
हरीश भट्ट....
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