Saturday, April 29, 2017

कुछ दोहे

प्रकृति
१.
शाम सुहानी हैं मगर, विचलित हैं आकाश !!
नदियों में कलरव नहीं, मन में नहीं उजास !!
२.
वृक्ष नही वन में कहीं, जल विहीन हैं ताल !
सूनी सूनी गोद हैं, .........धरती हैं बेहाल !!

आराध्य
१.
तुझको क्या मैं नाम दूं ,राम कहूं रहमान !
घट घट तेरा वास हैं, ..पग पग तेरी शान !!
२.
हरि बिन पार न पावही, लाख करे तू टाल !
कर्म बिना पर गति नहीं, ये कैसा जंजाल  !!
 
प्रिय
१.
कबहु प्रीत ना कीजिये, कठिन प्रीत की रीत !
ठेस लगे से गिर पड़े, ..ज्यों माटी की भीत !!
२.
देख सखी सुन ले जरा,....... बात जरा गंभीर !
प्रेम की बात न कीजिए, विकट बहुत यह पीर !!
 उपदेश
१.
पद्मासन में बैठ कर, दोनों हाथ पसार !
प्राण वायु को साध ले, यही योग का सार !!

२.
हो विमर्श हर बात पर, आपा काहे खोय !
मत का चाहे भेद हो मन का भेद न होय !!

सामाजिकता
१.
मेरा दुख सब से बड़ा, सोचे ये दिन रात !
क्यों तू खुद को दोष दे, घर घर की हैं बात !!
२.
बेटी ब्याह न दीजिये, .....देकर दान दहेज़ !
जीवन भर सुख ना मिले, ज्यों काँटों की सेज !!  

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