Tuesday, January 11, 2011

ध्रुव की तरह तुम नूर का झुरमुट रहो..


अग्रज तुम्हारी कामना,, और भाव सब परिलक्ष हों !
तुम कर सको वह कार्य जिस पर सभीआसक्त हों !!

यह  भावना सदभावना निष्काम यह  शुभकामना !
जब भी उठे पग साध्य को पथ सामने ही रिक्त हों !!

नव रूप में  नव भोर में, नव कल्पना अभिव्यक्त हो !
जिस राह पर तुम पग धरों वो राह सब उन्मुक्त हों !!

आ कर ना आये भ्रांतियां... ना कर्म में ना वचन  में !
हो गर्व  तुम पर विश्व  को व्यवहार  वो उत्कृष्ट  हों !!

हो राम जैसा धैर्य तुममे........ कृष्ण सी नितीग्यता !
कर्म से तुम वीर और .....मुक्त मणि सम शुद्ध हो !!

दिन आज का हैं साक्षी ..सारे द्वेष से हम मुक्त  हों !
हम चल  सकें  उस  राह पर जो राह तुमसे युक्त हों !!

ध्रुव की तरह तुम... नूर का झुरमुट रहो हर काल में !
इस कामना इस अर्चना में ......दोनों कर संयुक्त हों !!

3 comments:

  1. Wow mast hai bahut acha laga padh kar

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  2. harish ji , gahre bavon se paripurn sunder rachana.... sunder prastuti

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  3. yah rachna mujhe itni pasand aayi ki dubara comment karne se khud ko rok nahi payi.
    sabse acha pata kya laga 'nur ka jhurmut' mast kalpna hai.
    aur bhasa kavita ki to massa allahkya kahun

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