इतने खुश हो..!!??
किस बात की शुभकामनाए दोस्त..???
क्या बीता वर्ष..
कभी नया न था..??
तब भी तो खुश हुए थे तुम..!!
तब भी तो शुभकामनाए दी थी तुमने..!!
फिर.......
फिर क्या दे गया ये बीता वर्ष तुम्हे..?
क्या तुम पोछ सके..
अपने आस्तीन से
क्या मिटा सके..
मानवता पर लगे दागों को..??
क्या दिला सके हर बेरोजगार को रोजी..
और हर भूखे को रोटी ..??
तो फिर क्यों ये शब्दजाल फिर से..?
क्या तुम भूल गए उस
धर्मान्धता की आंधी को..
पीढ़ियों तक जिसका विष
तुम्हारे खून मैं रहेगा..
जिसकी हलचल
आज भी उन वीरानों मैं
चीत्कार करते चीड के पेड़ों
के रक्तिम आंसुओं मैं हैं..?
हाँ......!!
शायद... भूल गए तुम..
इसलिए न...
कि उन आंसूओ मैं
तुम्हारे आंसू न थे
उस बहते खून मैं तुम्हारा खून न था.!
इसलिए शायद ...तुम हर दौर को
पी लेते हो चुपचाप
पवित्र गंगा जल समझ कर
और हर बार जब
ये नया वर्ष बांहें फैलाये आता हैं
तो तुम उसे
तुम भूल जाते हो
तुम्हारे आस्तीन पे लगा हुआ रक्त
तुम्हारी पीठ से लगा हुआ
दोस्ती के फूलों मैं लिपटा चाकू
और सफ़ेद कफ़न की चाहरदीवारी मैं बंद
तुम्हारे अख़बार की कतरनों मैं
छपे सामूहिक नरसंहार को..!!!
आखिर क्यों.....????
क्योंकि तुमने बुरा देखना,बुरा सुनना
बंद कर दिया हैं.!
या तुम डर जाते हो यथार्थता से
सिर्फ पाना चाहते हो
अल्लाउद्दीन का चिराग
जिससे तुम अपना हर पल
मंगलमय कर सको
तुम जिन सिसकते जख्मों के
रक्तपिपासू कीटाणुओं को
भूल जाना चाहते हों
वो तो हर युग हर दौर
मैं मिलेंगे
उन से अलग रह कर
तटस्थता का छूत रोग मत फैलाओ
नोच लो इन जख्मों से
इन विषाक्त कीटाणुओं को
सिर्फ नववर्ष के मंगलमय होने की
कामना करने से ही
हर वर्ष मंगलमय होता
तो बीते वर्षों मैं
मंगल पर कभी शनि नहीं चढ़ता
लो... चलो ..मैं भी कहता हूं
नव वर्ष मंगल मय हो..!!!!???
सिर्फ नववर्ष के मंगलमय होने की
ReplyDeleteकामना करने से ही
हर वर्ष मंगलमय होता
तो बीते वर्षों मैं
मंगल पर कभी शनि नहीं चढ़ता
.
इस नए वर्ष का स्वागत मैं गए वर्ष के कुछ हसीन पलों को याद करते हुए और अपनी ग़लतियों से नसीहतें लेते हुए करना चाहूँगा.
आदमी रोज मौके तलाशता है मदहोश होने के। व्यापारी मौका तलाशता है अपने व्यापार को बढाने का। तो बस इसी उद्देश्य से मनाने की होड़ लगी है नव वर्ष।
ReplyDeleteनए साल की पहली पोस्ट. काफी मार्मिक है.
ReplyDelete_____________
'पाखी की दुनिया' में नए साल का पहला दिन.
मार्मिक है
ReplyDeleteआपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है
ReplyDeleteकल्पना नहीं कर्म ................संजय भास्कर
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
धन्यवाद
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/01/blog-post.html#links
जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
ReplyDeleteसिलसिला जारी रखें ।
आपको पुनः बधाई ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
आपकी नए साल की कविता ने मन को झकझोर दिया !
ReplyDeleteसच्चाई लिखने वाले कलम को नमन !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ