तुमने ....
उढ़ेल दिया
पीड़ा से भरे हुए !!!
सुन नहीं पाती हूँ
पंहुचा होगा कुछ तरल
न जाने
कौन से अस्पताल का पता
या तो अवरुद्ध हैं
या मिट चुके हैं
एसिड .....
सुना भी न था
बताया भी नहीं
या तुम्हारा समाज ????
जिन्दा रहना ही क्या
रह के तो देखो फिर
केवल कुछ
सुराखों के साथ
सुराखों के साथ
पथरीला सा चेहरा लिए
हाँ ....
तुमने ही तो उडेला हैं
ये तेज़ाब...
ये तेज़ाब...
तुम्हारे मष्तिष्क की
कड़वाहट ने सींचा हैं इसे
तुम्हारी विकृत सोच ने
खौलाया हैं इसे..
तुम गुनाहगार हो मेरे
याद रखना !!
किसी दिन
किसी सूनसान तिराहे पर
खड़ी मिलूंगी मैं जरूर
तुम्हारे इन्तजार मैं
बोतल में लिए हुए
कुछ कतरे
कुछ कतरे
तेज़ाब के
अगर जिन्दा रही तो ..........
अगर जिन्दा रही तो ..........
फिर सोचती हूँ ..
ईश्वर न करे
कहीं
कल
तुम्हारे आंगन मैं
तुम्हारे आंगन मैं
बेटी बन के पैदा हुई तो ..!!??
यही छिद्रित सा
चेहरा लिए ...!!!???
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुतीकरण,आभार.
ReplyDeleteशुक्रिया राजेंद्र जी ....आभार
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