Tuesday, April 9, 2013

"बलात्कार"


आजकल
शब्दकोष मैं ढूंढता हूँ
एक शब्द
"बलात्कार"....
और सिहिर उठता हूँ
इसके विकृत अर्थांशों पर

दिन भर यह शब्द
कान से चिपका हो जैसे
हथोड़े सा
मष्तिष्क पटल पर
बजता हुआ सा
बार बार--
तस्कीद करता हुआ सा
की नपुंसकता
मानसिक भी हो सकती हैं
पर कैसी नीचता
स्वयं को उघेड़ लेने का 
कैसा अतिरेक
उन्मांद की ऐसी परिणिति
कुत्सित  ही नहीं
अक्षम्य भी हैं
शब्दकोष में  तो कभी
इतना घृणित
नहीं था कोई शब्द
मान मर्यादा
जाती वर्ग विशेष
उंच नीच
छुआ छूत
से सुसज्जित और परिभाषित
ये मेरा समाज
हैरान हूँ
की कैसे झटक देता हैं
ब्लात करते हुए ऐसी जघन्यता 
असहाय स्त्रीत्व
तब न उसे 
जातिगत दिखता  हैं
न किसी वर्ग विशेष से
आखिर
गर्व करने को 
क्या रक्खा हैं
ऐसे स्वछन्द पौरुष पर
धिक्कार के सिवा
मृत्यु
शायद कम हैं
उस तिरिस्कृत 
एहसास तक पहुचने के लिए
पर इससे अधिक पर 
मौन हैं 
न्याय का देवता भी  
उपेक्षित पर उद्वेलित 
सोचता हूँ  
इस दंड के लिए
कोई विधान 
किसी शब्दकोष मैं
नहीं ही
होगा शायद

हाँ ...
आँख के बदले आँख
और हाथ के बदले हाथ  के
रामबाण न्यायसूत्र
की कह दूं
तो
मानवाधिकार
के बलात्कार का
गैर जमानती आरोप
चस्पा होते देर न लगेगी


तेज़ाब



तुमने ....
हाँ तुमने
कुरूप किया हैं मुझे ....
तेज़ाब सा कुछ 
उढ़ेल दिया
कान्तियुक्त चेहरे पे मेरे
कई पठारीय परिदृश्य
उभर आये हैं अब
अनगिनत लकीरे
भयावहता की
अकल्पनीय टीस  और 
पीड़ा से  भरे हुए !!!

सुन नहीं पाती हूँ
माँ की चीख .....
कान के परदे तक 
पंहुचा होगा कुछ तरल
न जाने 
कौन से अस्पताल का पता
पूछ रहे हैं पड़ोसी
देख ही नहीं पा रही हूँ
अब कोई  भी बोर्ड
सांस लेने के रास्ते
या तो अवरुद्ध हैं 
या मिट चुके हैं

एसिड .....
ऐसा ही होता होगा शायद
कभी....
सुना भी न था
किसी ने..
बताया भी नहीं
की चेहरे को चीरती हुई
तरल की कुछ बूंदे
कितनी तीक्ष्ण होती जाती हैं
मेरा कसूर ...
कब बताओगे तुम
तुम ..!!
या तुम्हारा समाज ????

जिन्दा रहना ही क्या
काफी होता हैं...
रह के तो  देखो फिर
केवल कुछ
सुराखों के साथ
पथरीला सा चेहरा लिए

हाँ ....
तुमने ही तो उडेला हैं
ये तेज़ाब...
तुम्हारे मष्तिष्क की 
कड़वाहट ने सींचा हैं इसे
तुम्हारी विकृत सोच ने
खौलाया हैं इसे..
तुम गुनाहगार हो मेरे
याद रखना !!

किसी दिन
किसी सूनसान तिराहे पर
खड़ी  मिलूंगी मैं जरूर 
तुम्हारे इन्तजार मैं
बोतल में लिए हुए  
कुछ कतरे
तेज़ाब के
अगर जिन्दा रही तो ..........

फिर सोचती हूँ ..
ईश्वर  न करे
कहीं  
कल
तुम्हारे आंगन मैं
बेटी बन के पैदा हुई तो ..!!??
यही
छिद्रित सा
चेहरा लिए ...!!!???