जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे छद्मयुद्ध की बर्बरता से उपजी कुछ पंक्तियाँ आपकी नजर अगर वतन से प्यार हैं दोस्तों तो एक बार जरूर कश्मीर लिखियेगा .....
ना ग़ज़ल,, ना नज़्म...कोई हीर लिखेंगे !
ना अश्क़ मैं डूबी कोई, तहरीर लिखेंगे !!
शायरों रहने दो, हुस्नों इश्क के चर्चे ज़रा !
आज बस कश्मीर बस कश्मीर लिखेंगे !!
ना अश्क़ मैं डूबी कोई, तहरीर लिखेंगे !!
शायरों रहने दो, हुस्नों इश्क के चर्चे ज़रा !
आज बस कश्मीर बस कश्मीर लिखेंगे !!
फिर वही गुस्ताख़ रहबर,, फिर वही अय्यारियां !
फिर वही जयचंद हैं और फिर वही मक्कारियां !!
लाज़मी हैं घर मैं बैठे क़ातिलों का सर कुचलना !
इस दफ़ा सर पे कफ़न की हो चुकी तय्यारियां !!
फिर वही जयचंद हैं और फिर वही मक्कारियां !!
लाज़मी हैं घर मैं बैठे क़ातिलों का सर कुचलना !
इस दफ़ा सर पे कफ़न की हो चुकी तय्यारियां !!
सीने पर अब के उन्हीं के, 'चीर' लिखेंगे !
आज बस कश्मीर बस कश्मीर लिखेंगे !!
आज बस कश्मीर बस कश्मीर लिखेंगे !!
बाज आ इन हरकतों से सब्र को मत आजमा तू
खुद लिखेगा खून से फिर दफन अपनी दास्तां तू
फिर कोई बिस्मिल न हो जाये कहीं यूं सरफरोश
सैकड़ों टुकड़ों में बट जाए कहीं न सर से पां तू
अब से हर सैनिक को अपने वीर लिखेंगे
आज बस कश्मीर बस कश्मीर लिखेंगे
देखते हैं कितने सीने,.... देश के छलनी करोगे !
देखना उससे जियादा,, तुम हमें सदके मैं दोगे !!
डरते नहीं हैं छातियों पर,,, गोलियों की मार से !
एक तुम मारोगे लेकिन माँ कसम सौ सौ मरोगे !!
देखना उससे जियादा,, तुम हमें सदके मैं दोगे !!
डरते नहीं हैं छातियों पर,,, गोलियों की मार से !
एक तुम मारोगे लेकिन माँ कसम सौ सौ मरोगे !!
गिन लो हर इक सर पे अब शमशीर लिखेंगे !
आज बस कश्मीर..... बस कश्मीर लिखेंगे !!
आज बस कश्मीर..... बस कश्मीर लिखेंगे !!
.......हरीश,,,,,
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